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कविता

प्रसन्न ताल

त्रिलोचन


शरत‍ का प्रसन्न ताल
जिस में लहरें भी नहीं भीतर मछलियाँ कुछ करती हैं
जब तब पानी के ऊपर आ जाती हैं।

 


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हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ